शोषित वर्ग का नेतृत्व जब तक सामाजिक,आर्थिक, धार्मिक,राजनैतिक चिंतन से जुड़ी बिचारधाराओं के सत्य को समझने में असमर्थ रहेगा। तब तक बिचारधारा संबंधी तथ्यों के सत्य को लोगों में स्थापित नहीं कर पायेगा। बिचारधारा चाहें उन
धार्मिक हो,चाहे सामाजिक,चाहे आर्थिक, चाहें राजनैतिक सभी की सोच अंतिम पायदान पर बैठे गरीब,मजदूर, किसानों, बेरोजगारों के साथ न्याय नहीं कर सकती,जब तक सोच अच्छी नहीं होगी । आज भारत में पूंजीवादी मनुविधान पर आधारित मनुस्मृतिबादी भाजपा और सहयोगी संगठन ने जो राष्ट्रबादी एजेंडा चला रखा है, उससे शोषित वर्ग को कभी न्याय नहीं मिल सकता,यह शोषित वर्ग को समझने की जरूरत है।
जिस बहुजन शोषित समाज अर्थात ओबीसी, एससी -एसटी, अल्पसंख्यक लोगों के जो संगठन चाहें धार्मिक, सामाजिक,राजनैतिक, आर्थिक संगठन हो सभी के महापुरुष, बिचार बिल्कुल अलग-अलग है। अंबेडकरबादी सामाजिक, राजनैतिक बिचारधारा महात्मा ज्योतिबा फूले , डा अम्बेडकर, संत गाडगे महाराज, महाराजा छत्रपति शाहूजी, शिवाजी महाराज, पेरियार रामास्वामी नायकर,ललई सिंह यादव आदि महापुरुषों का एक ही संदेश है, वह गरीब मध्यम वर्ग को न्याय के लिए संघर्ष किया गया था। आज शोषित वर्ग नेतृत्व स्वार्थपूर्ति के नाटक के पात्रों की तरह लड़ाई लड़ रहा है। जिसके कारण एकता में बाधा आ रही है। सत्ता प्राप्ति के लिए नेतृत्व संघर्ष कर रहा है, लेकिन उसमें स्वार्थी होकर लड़ रहा है।जिस दिन यह संघर्ष जनता के लिए लड़ाई शुरू होगी,तभी एकता के आसार बनेंगे और सत्ता भी हासिल हो सकेगी।यह बहुजन शोषित समाज के लोगों को समझने की जरूरत है। जिसके कारण ही विकासशील मजबूत समाज का निर्माण सम्भव हो सकेगा।आओ मिलकर चिंता चिंतन करते हैं।
धार्मिक विचारधारा कोई एक नहीं है। यह लोग उसके पीछे चलना चाहिते है।जिसने इनसे सबकुछ छीन लिया है। धार्मिक बिचारधारा के लिए धार्मिक गुरुओं और धार्मिक स्थलों का बहुत बड़ा अभाव है। जिसके कारण लोगों को सही और ग़लत की पहचान नहीं हो पा रही हैं। यह भी चिंता की बात है।
जिस समाज के पास एक बिचारधारा और एक बिधान पर नहीं चलेंगे,तब तक एकता नहीं हो सकती। इनके कल्याण में संबिधान और अंबेडकरवादी सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक, आर्थिक चिंतन से एकता और भला हो सकता है। जिस पर कोई नहीं चलना चाहिता। अंबेडकरवादी बिचारधारा पर चलने वाले लोगों और नेतृत्व के पास समझ का बहुत बड़ा अभा है। आज तक लोग उस पर ही चलतें है। जिस तरह से मनुबिधान चला रहा है। किताबों को लोग पढ़कर तर्कशील बनें, तो ही सही ग़लत की पहचान हो सकती है। इसके अलावा कुछ नहीं हो सकता।
लोग एक दूसरे को पढ़ाने में लगे हुए हैं, लेकिन पढ़ना कोई नहीं चाहिता। यह सबसे बड़ा दोष है। पढ़ेंगे तभी समझेंगे और तर्क करेंगे।तब सही ग़लत की पहचान होगी।कि कौन अंबेडकरवाद पर चल रहा है। पहले तो यह समझना होगा,कि अंबेडकरवाद ही आपको आगे ले जा सकता है।जाति नेतृत्व और व्यवस्था से भला नहीं हो सकता, यदि होगा तो बिचारधारा से ही सामाजिक राजनैतिक आर्थिक परिवर्तन की धुरी होती है।

लेबर पार्टी आफ इंडिया पूरी तरह से लोगों को आर्थिक और सामाजिक राजनैतिक धार्मिक परिवर्तन की दिशा में सोच को बदलने और बिचारधारा को समझकर ही आगे बढ़ाने के लिए लोगों को नेतृत्व दे रहीं हैं। यह लोगों को पसंद नहीं आ रहा है, और भटकते हुए घूम रहे हैं।आपका इस्तेमाल ही लोग करेंगे,भला कभी नहीं कर सकते। यह सोचो।
लेबर पार्टी आफ इंडिया के पास जनतांत्रिक लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सबसे कम पैसे में चुनाव लड़ाने की बिधि के साथ लोगों की गरीबी कैसे मिटेगी और नेतृत्व पर धन के अभाव को कैसे दूर होगा। यह सभी प्लान और बिधि है। जिससे लोकतंत्र और मध्यम वर्ग के लोगों को राजगद्दी पर बिठाया जा सकता है। यह सोच अंबेडकर जी की थी, इसलिए हमने सोच को आगे बढ़ाने के लिए प्लान तैयार किये है। इसलिए जागो और समझो और सत्ता पर कब्जा करो।
रुमसिहं राष्ट्रीय अध्यक्ष लेबर पार्टी आफ इंडिया
जयभारत संविधान

