मोदी अब फ्रांस से अमेरिका जा रहे हैं। अगर मोदी के भीतर जरा सी भी हिम्मत होगी तो ट्रंप को लाल आंख जरूर दिखाएंगे। अगर लाल आंख नहीं दिखा पाएं तो कम से कम अमेरिका से अपना विरोध जरूर दर्ज कराएंगे। क्योंकि आज से पहले भारत का इतना अपमान कभी नहीं हुआ था।
- अब देखना है कि मोदी क्या करते हैं….?अमेरिका के सामने डटकर खड़े होते हैं या हर बार की तरह सरेंडर कर देते हैं।?
👉क्योंकि भारत के लोगों ने ये सपने में भी नहीं सोचा था कि ये जिस ट्रंप को जिताने के लिए हवन और यज्ञ कर रहे हैं, वही ट्रंप भारत और भारत के लोगों का इस तरह अपमान करेगा।
➡️क्या नहीं किया ट्रंप के लिए, मोदी ने अमेरिका जाकर ट्रंप का प्रचार किया। ट्रंप को भारत बुलाकर नमस्ते ट्रंप किया। भारत के हज़ारों साधु- संतों ने ट्रंप को जिताने के लिए व्रत रखकर हवन–पूजन किया। मगर ट्रंप ने किसी बात का लिहाज नहीं किया।
👉अमेरिका ने भारतीयों को हाथ में हथकड़ी और पैरों को बेड़ियों से बांधकर कचरे की तरह फेंक दिया। लोगों ने बताया कि 40 घंटे तक कैसे उनके हाथ-पैर जंजीर से बांध के रखा गया। उन्हें वाशरुम जाने तक की भी इजाज़त नहीं थी। बार-बार रिक्वेस्ट करने बाद भी उनकी बेड़ियां खोली नहीं गई। मजबूर होकर वो लोग घिसटते हुए वाशरूम तक गए।
👉जब अमेरिका की सेना ने भारत के नागरिकों के हाथ– पैर बांधकर भेड़ बकरियों की तरह अपने जहाज में बिठाया, तब उन लोगों को ये भी नहीं बताया गया कि उनको कहां ले जाया जा रहा है। डर के मारे सारे लोग कांप रहे थे, अपनी किस्मत को कोस रहे थे।
- 👉कहा जा रहा है कि आज भी अमेरिका के डिटेंशन सेंटरों में कई हजार भारतीयों को बंधक बनाकर टार्चर किया जा रहा है। अमेरिका इन बंधकों को कई शिफ्टों में भारत भेजने की तैयारी कर रहा है।
👉अमेरिका की इन मनमानियों को प्रधानमंत्री औऱ विदेशमंत्री चुपचाप देख रहे हैं। किसी के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकल रहा है। विदेश मंत्री संसद में अपने लोगों के खिलाफ ऐसे बोल रहे हैं जैसे वो भारत नहीं बल्कि अमेरिका के विदेशमंत्री हैं।
👉अमेरिका ने एक भी पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, नेपाली, और श्रीलंकाई को इस तरह नहीं निकाला। उसने सिर्फ विश्वगुरू भारत के लोगों को टारगेट करके बेइज्जत किया। उनके हाथ-पैर बांधकर वीडियो बनाए, फिर वायरल किये।
➡️अमेरिका की तानाशाही का मुंहतोड़ जवाब न दे पाने के कारण पूरी दुनिया में भारत की बदनामी हो रही है। भारत के नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या भारत कोलंबिया से भी कमजोर हो चुका है? अमेरिका की मनमानी का विरोध अगर कोलंबिया कर सकता है तो भारत क्यों नहीं ?
अब देश के लोग यही देख रहे हैं कि मोदी अमेरिका के सामने विरोध दर्ज कराते हैं या घुटनों पर बैठकर सरेंडर कर देते हैं ?


