विदर्भ विभाग. युसुफ पठाण
सेवाग्राम (वर्धा) | सर्व सेवा संघ सेवाग्राम की राष्ट्रीय महिला समिति की बैठक में देशभर के विभिन्न राज्यों से आई महिला प्रतिनिधियों ने महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पर गंभीर मंथन किया।
हरियाणा, राजस्थान, उड़ीसा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र से आई प्रमुख महिलाओं ने साझा अनुभवों के माध्यम से बताया कि आज भी महिलाओं को स्वतंत्र पहचान बनाने के लिए पारिवारिक और सामाजिक मानसिकता से संघर्ष करना पड़ता है।
बैठक के उद्घाटन सत्र में अध्यक्ष चंदन पाल ने कहा, “महिलाओं को सशक्त होकर समाज के हर क्षेत्र में भागीदारी निभानी होगी। जब तक पुरुष अपनी सोच नहीं बदलते, तब तक बराबरी का समाज संभव नहीं है।”
सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान की अध्यक्षा आशा बोथरा ने कहा, “हम पहले कहते थे कि महिलाओं के सहयोग के बिना बदलाव अधूरा है, अब हम सहभाग की बात करते हैं। समाज में आज भी कई ऐसी परंपराएँ हैं जो स्त्री-पुरुष में भेद करती हैं। इन्हें दूर करना होगा।”
प्रतिनिधियों ने बताया कि जब महिलाएं हिम्मत और धैर्य के साथ आगे बढ़ती हैं, तो अंततः समाज भी उन्हें स्वीकार करता है।
द्वितीय सत्र में यह निष्कर्ष सामने आया कि समाज में पुरुष वर्चस्व के कारण महिलाएं हर स्तर पर भेदभाव का सामना करती हैं। ऐसे में महिलाओं को आगे लाने के लिए समग्र प्रयास आवश्यक हैं।
गोष्ठी में समूह चर्चा के बाद महिला शांति सेना, नागरिकता निर्माण, शिक्षा स्वास्थ्य पर्यावरण स्व रोजगार, पंचायत आदि विषयो पर महिलाओ के साथ जमीनी स्तर पर कार्य करने और दूसरे महिला संगठनों के साथ नेटवर्क बनाने पर सहमति बनी.
बैठक में विभिन्न राज्यों में महिला संवाद शिविर और गुजरात में राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया गया। साथ ही राष्ट्रीय”महिला सेल” का गठन भी किया गया जो भविष्य की गतिविधियों का संचालन करेगा।
प्रमुख उपस्थितियाँ: आशा बोथरा, कुसुमलता जैन (राजस्थान), जागृती राही, शुभा प्रेम, संध्या सिंह (उत्तर प्रदेश), जयश्री जैन (गुजरात), नूतन मालवी , लता राजपूत, माया धांडे (महाराष्ट्र), किरण शरण (दिल्ली), राबिया बेगम (उड़ीसा), मंजु दांतरे (मध्य प्रदेश), वाय. मारथा, एस. यादमा (तेलंगाना) सहित देशभर के आठ राज्यों के प्रतिनिधि बैठक में शामिल हुए।
प्रेषक:
अरविंद अंजुम
मंत्री, सर्व सेवा संघ, सेवाग्राम

