विधानसभा में फैलाए गई झूठी जानकारी को सेवाग्राम अस्पताल ने बताया आधारहीन…
संस्थान के डीन डॉ. ए.के. शुक्ल ने विज्ञप्ति जारी कर दी सेवाओं की विस्तृत जानकारी
संवाददाता:- दीपक बगवाडिया | वर्धा.
सेवाग्राम स्थित महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान संबद्ध कस्तूरबा अस्पताल ने हाल ही में विधानसभा में अपनी रोगी सेवाओं के संबंध में फैलाई गई “वस्तुस्थिति के अनुरूप नहीं” की झूठी जानकारी का खंडन किया है।
संस्थान के डीन डॉ. ए.के. शुक्ला ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर विधानसभा पर लगाए गए न्यूरोलॉजिस्ट और हृदय रोग विशेषज्ञ की उपलब्धता कमी, आईसीयू बेड की कमी, एमआरआई, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन और डायलिसिस की उपलब्धता के साथ ही एमआरआई, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन और डायलिसिस की उपलब्धता की कमी के लगाए गए सभी आरोपों का खंडन करते हुए स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया है।
संस्थान के डीन डॉ. ए.के. शुक्ला ने जारी विज्ञप्ति में बताया की विधानसभा में आरोप लगाए जा रहे थे कि संस्थान में न्यूरोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण मस्तिष्क रोग और हृदय रोगों के लिए रोगी सेवा उपलब्ध नहीं है।
पर अस्पताल ने स्पष्ट किया है कि डॉ. अंकुर श्रीवास्तव (एमएस, न्यूरोसर्जन) पूर्णकालिक न्यूरोसर्जन के रूप में 13 सितंबर 2024 से कार्यरत हैं। अक्टूबर 2024 से जून 2025 तक, 4917 बाह्य रोगियों की जांच की गई, 435 रोगियों को भर्ती किया गया और 212 मस्तिष्क की सर्जरी की गईं। इसके अलावा साल 2021-22 में 600, साल 2022-23 में 598, साल 2023-24 में 635 और साल 2024-25 में 592 मामलो में एंजीयोग्राफी की जांच की गई है. साथ ही साल 2021-22 में 232, साल 2022-23 में 237, साल 2023-24 में 246 और साल 2024-25 में 261 मरीजो की एंजियोप्लास्टी की गई है.अस्पताल प्रशासन ने आईसीयू बेड की कमी के आरोप का खंडन करते हुए बताया की राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा निर्धारित मानक संख्या 40 के मुकाबले अस्पताल में 119 आईसीयू बेड की उपलब्ध संख्या है.
इनमें मेडिसिन आईसीयू में 36 बेड, बच्चों के आईसीयू में 37 बेड, प्रसूति विभाग में 14 बेड, सर्जरी में 8 बेड, अस्थिरोग में 8 बेड और दुर्घटना एवं आकस्मिक विभाग में 16 बेड शामिल हैं। इसके अलावा एमआरआई, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन और डायलिसिस की उपलब्धता की कमी के आरोप पर बताया गया है की यह सभी सुविधाए पिछले 15 वर्षो से अस्पताल में उपलब्ध है. साल 2021-22 में 29783, साल 2022-23 में 30742, साल 2023-24 में 23941 और साल 2024-25 में 20908 मरीजो की सोनोग्राफी की जांच की गई.
साल 2021-22 में 8681, साल 2022-23 में 9387, साल 2023-24 में 8381 और साल 2024-25 में 9244 मामलो में सीटी स्कैन किया गया. साल 2021-22 में 3422, साल 2022-23 में 3414, साल 2023-24 में 3852 और साल 2024-25 में 4244 मरीजो का एमआरआई किया गया. साथ ही साल 2021-22 में 6086, साल 2022-23 में 7040, साल 2023-24 में 7280 और साल 2024-25 में 7618 मरीजो का हेमो डायलिसिस किया गया.
इसके अतिरिक्त, संस्थान में 86 वेंटिलेटर का उपयोग किया जाता है और ऑक्सीजन उत्पादन के लिए एक स्वतंत्र प्लांट भी है।संस्थान ने बताया कि मानक पाठ्यक्रम के अनुसार सभी प्राथमिक और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं। साल 2023-24 में 7,40,612 और साल 2024-25 में 7,40,540 बाह्य रोगियों की सेवा की गई, जिसका अर्थ है प्रति दिन औसतन 2468 रोगियों को सेवा प्रदान की जाती है । इन रोगियों में से 95% ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से आते हैं, जिससे यह कहना गलत है कि यह अस्पताल गरीबों के लिए नहीं है। संस्थान ने पुष्टि की है कि महाराष्ट्र सार्वजनिक न्यास कानून के अनुसार, कुल उपलब्ध 972 मरीज बेड में से 97 बेड गरीब रोगियों के लिए आरक्षित रखी गई हैं।
संस्थान ने लाभ के लिए अस्पताल चलाने के आरोप का खंडन करते हुए बताया की साल 2023-24 में अस्पताल और कॉलेज चलाने का अनुमानित खर्च लगभग 220 करोड़ रुपये था, जबकि रोगी सेवाओं से केवल 38.30 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। संस्थान के डीन डॉ. ए.के. शुक्ला ने विधानसभा पर फैलाए जाने वाली सभी भ्रमक खबरों को आधारहीन बताया है.
उनका कहना है की कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा संस्थान का नाम ख़राब करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन ने जनता से अपील की है कि वे विधानसभा पर प्रसारित होने वाली गलत जानकारी पर विश्वास न करें और अस्पताल द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं की वास्तविक स्थिति को समझें।

