लखनऊ। वरिष्ठ पत्रकार दिलीप सिन्हा का आज दोपहर लोहिया पथ पर जियामऊ के सामने एक भीषण सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। वे अपनी स्कूटी से जा रहे थे, तभी एक बस ने उन्हें टक्कर मार दी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तत्काल सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
घटनास्थल पर मौजूद पुलिस ने जब उनकी पहचान के लिए तलाशी ली, तो उनकी शर्ट की जेब से झांकती एक कलम और कुछ कार्ड के अतिरिक्त और कुछ नहीं मिला। यह कलम शायद उनकी पत्रकारिता के प्रति अटूट समर्पण का प्रतीक थी, जिसे वे अपने जीवन का अभिन्न अंग मानते थे।
लखनऊ के पत्रकारपुरम निवासी दिलीप सिन्हा पत्रकारिता जगत में एक जाना-माना और सम्मानित नाम थे। उन्होंने लंबे समय तक सक्रिय पत्रकारिता की और हाल ही में अपना खुद का डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च करने की तैयारी कर रहे थे।
दिलीप सिन्हा केवल एक पत्रकार ही नहीं थे, बल्कि पत्रकारों के हितों के लिए हमेशा संघर्षरत रहने वाले एक जुझारू व्यक्ति भी थे। वे पत्रकारों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधाएं दिलाने के लिए लगातार प्रयासरत रहते थे। उनका मानना था कि जमीनी स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों को अक्सर सरकारों द्वारा उपेक्षित किया जाता है, और उनके दर्द को कभी समझा नहीं गया।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार ने दिलीप सिन्हा के निधन को पत्रकारिता जगत के लिए एक बड़ी क्षति बताया। उन्होंने कहा, “उनकी कमी विशेष रूप से उन पत्रकारों को खलेगी जिनके अधिकारों और कल्याण के लिए वे हमेशा खड़े रहे।” दिलीप सिन्हा का जाना पत्रकारिता समुदाय के लिए एक अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई मुश्किल होगी।

