रिपोर्ट इरशाद खान मुंडन / आदिल मलिक वेस्टर्न हाक
सहारनपुर महानगर के खाता खेड़ी क्षेत्र में कॉलोनाइजर्स की गतिविधियों को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। यहाँ के कॉलोनाइजर्स आम जनता की पहुँच से बाहर महंगी कीमतों पर प्लॉट बेच रहे हैं। यह जानना महत्वपूर्ण है कि इन कॉलोनाइजर्स के पास इतना पैसा कहाँ से आ रहा है और क्या इसमें विदेशी मुद्रा का भी उपयोग हो रहा है
इस मामले में विकास प्राधिकरण सहारनपुर और आयकर विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। यह जाँच का विषय है कि इतने सारे कॉलोनाइजर्स खाता खेड़ी में कहाँ से आए हैं और उनके पास इतना पैसा कहाँ से आ रहा है।
इस मामले में जाँच होना आवश्यक है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या इसमें कोई अवैध गतिविधि शामिल है और क्या यहाँ के निवासियों के हितों की रक्षा की जा रही है।
कोलोनाइजर्स के लिए नियम और एक्ट निम्नलिखित हैं:
रेरा (RERA) के नियम
- पंजीकरण: कोलोनाइजर्स को रेरा में पंजीकरण करना अनिवार्य है।
- प्रोजेक्ट की जानकारी: कोलोनाइजर्स को प्रोजेक्ट की जानकारी रेरा की वेबसाइट पर अपलोड करनी होती है।
- ग्राहकों के अधिकार: रेरा के तहत ग्राहकों को कई अधिकार प्रदान किए गए हैं, जैसे कि प्रोजेक्ट की जानकारी का अधिकार, शिकायत निवारण का अधिकार आदि।
- जुर्माना और दंड: रेरा के नियमों का उल्लंघन करने पर कोलोनाइजर्स को जुर्माना और दंड का सामना करना पड़ सकता है।
विकास प्राधिकरण के एक्ट
- उत्तर प्रदेश नगर विकास अधिनियम, 1973: यह एक्ट उत्तर प्रदेश में नगर विकास के लिए बनाया गया है।
- उत्तर प्रदेश आवासीय भूमि उपयोग नियम, 2014: यह नियम उत्तर प्रदेश में आवासीय भूमि के उपयोग के लिए बनाया गया है।
- उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण नियम, 2015: यह नियम उत्तर प्रदेश में विकास प्राधिकरणों के लिए बनाया गया है।
इनकम टैक्स के नियम
- आयकर अधिनियम, 1961: यह अधिनियम आयकर के लिए बनाया गया है।
- आयकर नियम, 1962: यह नियम आयकर अधिनियम के तहत बनाया गया है।
- बेनामी संपत्ति अधिनियम, 1988: यह अधिनियम बेनामी संपत्ति के लिए बनाया गया है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये नियम और एक्ट समय-समय पर बदलते रहते हैं, इसलिए यह जानकारी केवल सामान्य ज्ञान के लिए है। विशिष्ट मामलों में विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक है।

