कोरोना महामारी में धार्मिकता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ के लिए प्रधानमंत्री ने मोमबत्ती,ताली, थाली बजाकर कोरोना वायरस से लड़ने का आवाह्न करके अंधविश्वास-अंधभक्ति में ढकेल कर मरने को छोड़ दिया,जबकि लोगों को महामारी में आक्सीजन दबा तक अस्पतालों इलाज की सुविधा तक नहीं मिली। नौकरी चली जाने से लोग भूख से मर रहे थे।तव भारत में पांच किलो अनाज कुछ पैसा एवं सामान बांटा गया। नोटबंदी जीएसटी से लोगों का कारोबार,व्यवसाय लोगों छीना उस समय भी धर्म पताका अंधभक्ति ने इस गलत निर्णय का समर्थन ताली थाली मोमबत्ती जलाने वाले के कारण की धर्म पताका संदेशों के कारण बेरोज़गारी महंगाई, रुपए की गिरतीं कीमत से अर्थव्यवस्था में सुधार के स्थान पर भारत अवनति की गाथा लिखी है।
भारत धर्म पताका के विश्लेषण उपरांत-अमेरिका ने कोरोना महामारी बेरोज़गारों को 400/= डॉलर प्रति सप्ताह..! देकर सहारा दिया।
अमरीका के राष्ट्रपति ने जोसेफ आर०बाइडेन जूनियर ने आर्थिक पैकेज का एलान किया।इस पैकेज के तहत एक ख़ास आमदनी की सीमा तक के सभी अमरीकी नागरिकों को 1400 डॉलर का एक चेक मिलेगा। यह चैक भारतीय रुपये में 1 लाख से कुछ अधिक होता है। दिसंबर महीने में 600 डॉलर का चेक मिला था। यही नहीं बेरोज़गारों को भी हर सप्ताह 400 डॉलर तक के चैक दिये गये।आपातकालीन बेरोज़गारी बीमा योजना के तहत पैसा दिया गया। ऐसे कामगारों को यह पैसा दिया,जिनकी कोरोना में नौकरी चली गई थी। यह राशि प्रथम से ग्यारह सप्ताह (1-11 सप्ताह तक 300 डॉलर बेरोज़गार हुए लोगों को हर सप्ताह दिए गए,धीरे धीरे यह राशि कम होती चली गई।
भारत में भी करोड़ों लोग बेरोज़गार हुए। उन्होंने ऐसी कोई राशि सरकार से नहीं मांगी न सरकार ने दी। बेशक भारत में सरकार ने ग़रीबों को छह महीने तक मुफ्त अनाज दिया। जनधन खाते में तीन बार 500 रुपये डाले गए। मिडिल क्लास के लिए 20 लाख करोड़ का पैकेज आया,क्या हुआ,किसे मिला किसी को कोई पता नहीं?यह पैकेज लोन की शक्ल में था।
अमरीकी की तरह सीधे किसी को मदद नहीं दी गई है। भारत में बहुत से छात्रों के पास एडमिशन के पैेसे नहीं हैं। कइयों की नौकरी चली गई है। बैंक वाले लोन वसूली के लिए दरवाज़े पीट रहे हैं। उन लोगों की इस बीस लाख करोड़ की हेल्पलाइन वाले पैकेज से खास मदद नहीं मिली,बेरोज़गारों को अमरीका जाने की ज़रूरत नहीं है?(1400)डॉलर पैकेज लेने के लिए कोई ज़रूरी नही?कि आप अमरीका जाएं।
भारत के गरीब एवं मिडिल क्लास को यह सब नहीं चाहिए, यह भारत के राजनेता भली-भांति जानते हैं। इसलिए भारत में धर्म ध्वजा सवसे ऊपर है। धर्म को महत्व के कारण भाजपा शासन में महंगाई बेरोजगारी, व्यवसाय के स्थान पर धर्मध्वजा को हाथ में लेकर भाजपा घूम रही, उसे सफलता भी मिल रही है।
भारत के युवा मिडिल क्लास को एक चीज़ चाहिए। कि धार्मिक पंथनिरपेक्षता पहचान बनी रहें। धार्मिकता संबंधी वीडियो को देखकर चेहरे की रौनक़ बदल जाती है,चेहरे पर लालिमा छा जाती है। बाइक पर झंडा लगा कर लगता है,कि धर्म का काम करके ही जिंदगी अच्छी रहेगी और स्वर्ग में चलें जाएंगे। स्वर्ण की चिंता से वर्तमान जीवन खुशहाल नहीं हो सकता।
अधर्म में डूबी राजनीति उन्हें धर्म पताका पकड़ा चुकी है ताकि वे धर्म के नाम पर भाजपा की राजनीति भारत के लोकतंत्र को खत्म करके पूंजीवादी बनाने का षड्यंत्र कर रही है। यह मध्यम वर्ग और गरीब मजदूर किसान की पहुंच से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और जनप्रतिनिधि बनने रोककर उनके अधिकारों को दबा रही है। यह ओबीसी एससी-एसटी अल्पसंख्यकों को समझना होगा।
भारतीय जनता पार्टी धर्म से लोकतंत्र हासिल करती है। जो देश और संबिधान दोनों को लिए खतरा है। जबकि की रचना लोकतंत्र हुई है। संबिधान लोकतंत्र बना और चलता है।
धर्म की राजनीति के कारण देश के किसान और नौजवान,मजदूर,शिक्षित बेरोजगारों के हकों का भाजपा लगातार दमन कर रही है। इसलिए धर्म की राजनीति को देश के सभी नागरिकों दूर रहकर गैर पूजीबादी लोकतंत्र स्थापित करके अपने अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत है। यह देश को समझने की जरूरत है।
आओ एक कदम बढकर लेबर पार्टी आफं इंडिया में खुद के नेतृत्व करने की अपने अंदर योग्यता पैदा करनी चाहिए। पद और हक एलपीआई आपको देने का बादा करती है। इसलिए धर्म की राजनीति से सभी देशवासियों को बचने की जरूरत है। संबिधान के अनुसार जो लोकतंत्र बना है। उसे मजबूत करने के लिए संगठन नेतृत्व को मजबूत करना ही होगा।
भारतीय संविधान के लोकतंत्र में अधिनायक पूजीबाद नहीं है। जबकि वर्तमान में भाजपा के फासीवादी लोकतंत्र में अधिनायक पूजीबाद के बिना लोकतंत्रात्मक व्यवस्था को मजबूत किया जाता है, जिसमें मनी माफिया मीडिया का सबसे बड़ा योगदान होता है, इसलिए सबसे अधिक लाभ भी इन्हें मिलता है, यह मजदूर किसानों शिक्षित वेरोजगारों मध्यवर्गीय परिवारों को समझने की जरूरत है।
गैरपूजीबाद भारतीय संविधान सम्मत लोकतांत्रिक व्यवस्था है, जिसमें संगठन,स्थानीय नेतृत्व अर्थात संगठनात्मक ढांचा खड़ा करके मनी माफिया मीडिया को चुनौती देकर मजदूर किसान, मध्यवर्गीय परिवारों के समाजसेवी नेतृत्वकर्ता भी जनप्रतिनिधि बन सकते हैं।जो गरीब मध्यम वर्गीय परिवारों को लाभ मजबूत भारत की नींव रखकर भारत को मजबूत कर सकते हैं। यह हर भारतीय को समझने की जरूरत है।
लोकतंत्र,संबिधाश,लोकतांत्रिक संस्थाओं में भागीदारी के लिए भारत गरीब मध्यम वर्गीय परिवारों को आगे आकर नेतृत्व करने की जरूरत एवं चुनाव खर्च घटाने के नयी रणनीति संगठन, नेतृत्व के लिए बिचार के लिए आगे आकर पूजीबादी दलों में भाजपा, कांग्रेस आदि अन्य पूजीबादी क्षेत्रीय दलों को को चुनौती देनी होगी। इसके लिए लेबर पार्टी आंफ इंडिया में नेतृत्व, संगठन को मजबूत करने के लिए निकलकर आगे आने की जरूरत है।आओ लेबर पार्टी आफं इंडिया को समझकर खुद को और भारत को मजबूत बनाने के लिए घरों से निकलकर नेतृत्व के लिए आगे आने का आव्हान करतीं हैं।
संबिधान,लोकतंत्र को बचाने के लिए नहीं? बल्कि उसके संचालन को हाथ में लेने के लिए संगठन, नेतृत्व को सामूहिक वनाकर स्वार्थी जाति के मनुवादी लोगों को नकारते कर वर्ग जातियों के नेतृत्व को मजबूती से सत्ता पर शोषित-बंचित कब्जा कर सकते हैं। इस लड़ाई में सामूहिक वर्ग जाति नेतृत्व को समाजसेवी सामाजिक राजनैतिक आर्थिक न्याय को स्वीकार करना होगा।
सामूहिक वर्ग जाति नेतृत्व संगठन में सांझा नेतृत्व नीति,सांझा विरासत संस्कृति, महापुरुषों की विचारधारा को शोषित पीड़ित अधिकारों बंचित लोगों को जाति-व्यवस्था धर्म से हटकर महापुरुषों के त्याग काम के तरीके अपनाने के लिए विचारधारा के ज्ञान क्षमता को समझने-समझाना जरूरत है। जिसके कारण शोषित-बंचित वर्गों के लोग मनुवाद को छोड़कर अंबेडकरवादी सामाजिक राजनैतिक आर्थिक न्याय में संविधान लोकतंत्र के जनतांत्रिक लोकतंत्र में अहम् सत्ता पर कब्जा से अमीरों से आजादी गरीवों को न्याय दिलाने का लेबर पार्टी आफ इंडिया का संकल्प है।
रूमसिह राष्ट्रीय अध्यक्ष लेबर पार्टी आफं इंडिया,
जयभारत-जयभीम


