स्वरचितमौलिकअर्चना आनंद गाजीपुर उत्तर प्रदेश
दुःख की बांध गठरिया मुसाफिर,
काहें ढोए दिन- रैन।
ये तो आवत -जात बदरिया जैसो,
फिर काहें खोए सुख चैन।।
कहते हैं समय बड़ा ही बलवान होता है। इसकी गति कभी रुकती नहीं। यह अनवरत चलता रहता है। दुःख हो या सुख, कोई भी चीज इसके आगे टिकती नहीं। इसने पुरुषोत्तम श्री राम, राजा बलि, और हरिश्चंद्र को नहीं बख्शा । तो, हम तो एक सामान्य से इंसान हैं।
ये सब कुछ जानते हुए भी, हम कितने उथले हैं, जो दुःख आने पर इसके समंदर में डूब जाते हैं और खुशी मिलने पर फूले नहीं समाते। जबकि ये दोनों ही अस्थाई हैं। न ही दुःख स्थाई है, न सुख। कोई अपना जब दूर जाता है तो ऐसा लगता है, जैसे जिंदगी की गाड़ी ही रुक गई। लेकिन समय उस घाव को धीरे- धीरे भर देता है और कुछ दिन बाद उसकी स्मृति धुंधली हो जाती है। फिर एक नया दुःख हमारे सामने खड़ा हो जाता है और हम एक बार फिर उसमें डूब जाते हैं। यही क्रम हमारे जीवन में अनवरत चलता रहता है और सारी जिंदगी हम इसी तरह गुजार देते हैं।
इसका कारण यह है कि हम वर्तमान में कभी नहीं जीते। या तो हम अतीत की दुखद स्मृतियों में जीते हैं या फिर भविष्य में आने वाली संभावित परेशानियों में।
जैसे बादल क्षितिज में आकर चांद को ढक लेता है, और अंधेरा कर देता है। लेकिन ये अंधेरा स्थाई नहीं होता। कुछ देर बाद ये शून्य में समा जाता है और चांद अपनी चांदनी से पूरी वसुधा को अपने आगोश में ले लेता है।
उसी तरह हमारे जीवन से दुःख के बादल भी छंटेगे , क्यों कि हर अंधेरे के बाद उजाला होता है। या यूं कहें कि अंधेरे का अस्तित्व ही नहीं होता। ये तो सिर्फ प्रकाश की अनुपस्थिति मात्र होती है। जैसे ही हम दिया जलाते हैं, अंधेरा अपने आप गायब हो जाता है ।
सुख और दुःख दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक के बिना दूसरे का अस्तित्व ही नहीं। अगर दुःख न हो तो सुख मुल्यहीन हो जाएगा और हमें जो क्षण भर की खुशी मिलती है, वो भी नहीं मिल पाएगी।
हमें जरूरत है अपने जीवन में स्थायित्व लाने की। सत्य के राह पर चलते हुए अपना पुरुषार्थ करते रहने की।
सुख और दुःख जो भी आए, न ही उसमें बहुत ज्यादा प्रफ्फुलित हों, न ही उद्दीग्न। उसे होकर चले जाने दें और शांत होकर उसे साक्षी भाव से देखते रहें। फिर मन में एक अजीब सी शांति महसूस होगी। आप कुछ भी रोकने की कोशिश न करें , क्यों कि वो आपके बस में नहीं इससे आपको तकलीफ होगी। आप जीवन के बहने की गति को मोड़ने की कोशिश न करें । उसे नदी की धार की तरह बह जानें दें और एक नई ऊर्जा के साथ जीवन के हर एक पल को, हर एक सांस को भरपूर जिएं। जीवन में चाहे जितनी भी विषम परिस्थितियां आए कभी भी घबराएं नहीं।
और अपने कर्म पथ पर निरंतर अग्रसर होते रहें।
दिल में उम्मीदों का दिया जला,
एक नई इबारत लिखेंगे।
एक नई सुबह की,नई कहानी,
हम नवनिर्माण संग लिखेंगे।।
आए राह में आंधी जो,
हम उसे शांत हो सह लेंगे।
मगर मंजिल के मार्ग से हम,
ना मायूस हो, कभी विचलित होंगे।।
गिरकर उठने की गरिमा,
जिसने भी है जान गई।
जीवन के रण में उसी ने,
सारी मुश्किल हल कर ली।
पर्वत की पथरीली राहों से,
पग में छाले पड़ने देंगे।
मगर मंजिल के मार्ग से हम,
ना मायूस हो कभी विचलित होंगे।।
कोशिश हम हर बार करेंगे।
हौसला हार न बैठेंगे।
निकल नीड़ से पंख पसार,
हम आसमां की ऊंचाइयां छू लेंगे।
तप्त रवि की किरणों संग,
हम ऊंची उड़ान भी भर लेंगे।
मगर मंजिल के मार्ग से हम,
ना मायूस हो कभी विचलित होंगे।।

