अमलेश राज बोधों आज़मगढ़
मां तेरे आंचल में ,
कितना कितना प्यारा मनोहर है,
जब भी था छोटातेरे गोद का प्यारा मनोहर ,,
पलकर तेरे आंचल मेंशीश कटाने को तैयार
नन्हा सा मनोहर भोला हैसोच कर अपने मन में बोला
है मां के आंचल में पलकरवीरों की जान बनूं
गाढक ले मां अपने आंचल में वीरों की जान बनूंगा
मातृभूमि पर मिटने को हमेशा तैयार रहूंगा
आंखों में आंसू हैरण भूमि को देख कर
देख रणभूमि में संतोष करेगी
मेरा एक मनोहर ही नहीं मातृभूमि पर मिटने को वीर मनोहर अनेक होंगे
उन्हें भी आंचल की याद आई कहते हैं हाय रे माईमां
के आंचल भी अपने ही हाथों से पूछ रही है
आंखों के आंसू कुर्बान है
तेरा बेटा मातृभूमि मैं भेज तू अपने आंचल को मातृभूमि में खोया है तेरा एक मनोहर सोया है
