स्वरचित_मौलिक_अर्चना आनंद गाजीपुर उत्तर प्रदेश
जय, जय हे मारुतिनंदन।कर जोड़ करूं तेरी वंदन।।दुष्ट दलन कर दूर भगाओ।तन के मेरे ताप मिटाओ।।धीर,वीर, ऐश अखंड दो।तेज मुझे तुल्य मार्तंड दो।।बैठे हो क्यों ? भूल अपने बल।जग मुक्त क्यों ? करते नहीं खल।।राम सिया के जो गुण गावे।जा उसके तू कष्ट मिटावे।।निर्बल के तुम बनो आधार।कर दो उनके सपने साकार।।सकल पदारथ के तुम दाता।कीर्ति की मेरी फहरा दो पताका।।सच्चे मन से करूं तेरी साधना।प्रभु मेरे सुन लो मेरी प्रार्थना।।
